November 20, 2024 |

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तीन दिवसीय राजस्थान साहित्य उत्सव (साहित्य कुम्भ-2023) जोधपुर में शुरू, कला एवं संस्कृति मंत्री ने किया शुभारंभ – मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने प्रेषित की शुभकामनाएं..

(khabrilal24.com) जयपुर, 25 मार्च। राजस्थान साहित्य उत्सव (साहित्य कुंभ-2023) का तीन दिवसीय भव्य आयोजन जोधपुर के उम्मेद उद्यान स्थित जनाना बाग में शनिवार शाम को शुरू हुआ। समारोह की शुरूआत मुख्य अतिथि कला एवं संस्कृति मंत्री डॉ. बी.डी. कल्ला ने की।

मनीषियों को अकादमी पुरस्कारों से सम्मानित किया गया,

मंत्री डॉ. बी.डी. कल्ला ने समारोह में विभिन्न अकादमियों की ओर से उल्लेखनीय कृतित्व तथा विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट योगदान के लिए 7 मनीषी विद्वानों/साहित्यकारों को विभिन्न पुरस्कारों से विभूषित किया। इनमें राजस्थान संस्कृत अकादमी, जयपुर की ओर से जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय दिल्ली में संस्कृत एवं प्राच्य विद्या संस्थान में एसोसिएट प्रोफेसर श्री प्रमोद कुमार शर्मा को अखिल भारतीय माघ पुरस्कार तथा आयुर्वेद एवं संस्कृत के मनीषी प्रो. वैद्य श्री बनवारी लाल गौड़ को अम्बिकादत्त व्यास पुरस्कार,  राजस्थान उर्दू अकादमी, जयपुर की ओर से डॉ. अशरद अब्दुल हमीद(टोंक) को प्रो. महमूद शिरानी अवॉर्ड और श्री आदिल रजा मन्सूरी (जयपुर) को अख्तर शिरानी अवॉर्ड, प्रख्यात बाल साहित्यकार डॉ. दिविक रमेश (दिल्ली) एवं डॉ. प्रबोध कुमार गोविल(जयपुर) तथा कलाधर्मी एवं बहुआयामी सृजनात्मक रचनाकार श्री चांद मोहम्मद घोसी(मेड़ता) को पंडित जवाहरलाल नेहरू बाल साहित्य अकादमी जयपुर के बाल साहित्य मनीषी अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। 

समारोह में राजस्थान साहित्य अकादमी की ओर से पद्मश्री चन्द्रप्रकाश देवल को पं जनार्दन राय नागर पुरस्कार तथा श्री हबीब कैफी एवं श्री शिवराज छंगाणी को विशिष्ट साहित्यकार सम्मान प्रदान किया गया।

परम्पराओं को अक्षुण्ण रखने में साहित्य उत्सव अहम- शुभारंभ अवसर पर डॉ. बी.डी. कल्ला ने मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत द्वारा साहित्य उत्सव के लिए भिजवाए गए शुभकामना संदेश का पठन किया और सभी को उत्सव के लिए बधाई एवं शुभकामनाएं दीं

डॉ. बी.डी. कल्ला ने अपने उद्बोधन में कहा कि मुख्यमंत्री की मंशा है कि कला, संगीत और साहित्य की ख़ास पहचान रखने वाले प्रदेश राजस्थान में इसी प्रकार के साहित्य उत्सव क्रमिक रूप से प्रदेश के संभागों पर आयोजित होते रहें ताकि कला-संस्कृति और साहित्य की परंपराओं को अक्षुण्ण बनाए रखने के साथ ही कलाकारों, साहित्यकारों को प्रोत्साहन एवं सम्बल प्राप्त होता रहे।

            उन्होंने साहित्यकारों से समाज के नवनिर्माण और जागरुकता संचार में आगे आने, सांस्कृतिक प्रदूषण से समाज और देश को बचाने, देश की एकता और अखण्डता, सर्वधर्म समभाव, कौमी एकता को बनाए रखने तथा नवीन प्राण संचार करने में समर्पित भावना से आगे आने का आह्वान किया।

उन्होंने कहा कि आने वाली पीढ़ियो के लिए प्रेरणा संचार की दिशा-दृष्टि पर कलम चलाने का आह्वान भी किया और विश्वास जताया कि यह उत्सव समाज और देश के लिए अत्यन्त प्रभावी एवं उपादेय सिद्ध होगा।

उन्होंने आगामी उत्सवों में अकादमियों की ओर से गहन वैचारिक चिन्तन मनन पर जोर दिया और कहा कि इसमें सामने आए निष्कर्षों और सुझावों को कला एवं संस्कृति विभाग अमल में लाने पर विचार करेगा।

            डॉ. बी.डी. कल्ला ने संस्कृत, वेद, उपनिषदों, रामायण और पुराणों का जिक्र करते हुए कहा कि हर भाषा का अपना प्रभाव होता है, इन्हें आज हृदयंगम करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में पुस्तक प्रदर्शनी को राष्ट्रीय स्तर का स्वरूप प्रदान करने का प्रयास किया जाएगा।

            कला एवं संस्कृति मंत्री ने सभ्यता, संस्कृति और वैविध्यपूर्ण पर्व-उत्सव-त्योहारों की परंपरा और संस्कृति को अक्षुण्ण बनाए रखने और संस्कृति उत्थान के प्रयासों में जुटते हुए राजस्थान की संस्कृति, परंपराओं को आगे बढ़ाने, नई पीढ़ी को इन परंपराओं से जोड़ कर नए साहित्यकार तैयार करने के लिए योजनाबद्ध प्रयासों पर जोर दिया और कहा कि सरकार इसके लिए हरसंभव प्रयास करेगी। इनमें कहीं कोई कमी नहीं आने दी जाएगी।

डॉ. कल्ला ने सरकार द्वारा कलाकारों के कल्याण के लिए संचालित योजनाओं की जानकारी दी और बताया कि राज्य में राजस्थान दिवस के अवसर पर संभाग एवं जिलास्तर पर सांस्कृतिक आयोजन किए जाएंगे।

समारोह की अध्यक्षता करते हुए राज्य मेला प्राधिकरण उपाध्यक्ष श्री रमेश बोराणा ने उत्सव आयोजन के लिए मुख्यमंत्री का आभार जताया और जोधपुर में पहली बार आयोजित हो रहे भव्य उत्सव को राजस्थान के साहित्य एवं संस्कृति जगत के लिए महत्त्वपूर्ण बताया।

समारोह में विशिष्ट वक्ता प्रख्यात सामाजिक कार्यकर्ता श्रीमती अरुणा रॉय एवं वरिष्ठ शायर एवं साहित्यकार श्री शीन काफ़ निज़ाम ने संबोधित करते हुए भव्य उत्सव आयोजन की सराहना की।

प्रख्यात सामाजिक कार्यकर्ता श्रीमती अरुणा रॉय ने कहा कि राजस्थानी संस्कृति का परिचय विजय दान देथा के सान्निध्य में मिला, मेरे व्यक्तित्व पर राजस्थान संस्कृति की छाप है। उन्होंने कहा कि राजनीति और साहित्य के बीच एक बुनियादी रिश्ता है, साहित्य हर व्यक्ति के जीवन को छूता है। उन्होंने साहित्यकारों द्वारा अभिव्यक्ति की प्रतिष्ठा के लिए किए जा रहे कार्यों की सराहना की।

श्री शीन काफ़ निज़ाम ने भव्य और वृहत् आयोजन के लिए मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत की सराहना करते हुए कहा कि इस प्रकार के आयोजनों की निन्तरता कायम रहनी चाहिए।

आभार प्रदर्शन पं. जवाहरलाल नेहरू बाल साहित्य अकादमी के अध्यक्ष श्री इकराम राजस्थानी ने किया।

समारोह में कला एवं संस्कृति विभाग की प्रमुख शासन सचिव और जवाहर कला केन्द्र की महानिदेशक श्रीमती गायत्री राठौड़, साहित्य उत्सव की नोडल अधिकारी और जवाहर कला केन्द्र की अति. महानिदेशक सुश्री प्रियंका जोधावत, राज्य पशुधन विकास बोर्ड के अध्यक्ष श्री राजेन्द्र सोलंकी, विधायक श्रीमती मनीषा पंवार एवं श्री महेन्द्र विश्नोई, महापौर श्रीमती कुन्ती परिहार, श्री नरेश जोशी, श्री सलीम खान, राजस्थान संस्कृत अकादमी की अध्यक्ष डॉ. सरोज कोचर, राजस्थान भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के अध्यक्ष श्री शिवराज छंगाणी, राजस्थान ब्रज भाषा अकादमी के अध्यक्ष डॉ. रामकृष्ण शर्मा, पं. जवाहरलाल नेहरू बाल साहित्य अकादमी के अध्यक्ष श्री इकराम राजस्थानी, राजस्थान उर्दू अकादमी के अध्यक्ष श्री हुसैन रज़ा, राजस्थान संगीत नाटक अकादमी की अध्यक्ष श्रीमती बिनाका मालू, राजस्थान साहित्य अकादमी के अध्यक्ष डॉ. दुलाराम सहारण एवं राजस्थान ललित कला अकादमी के अध्यक्ष श्री लक्ष्मण व्यास सहित जनप्रतिनिधिगण, साहित्यकार, अधिकारीगण, गणमान्यजन एवं साहित्यानुरागी उपस्थित रहे।

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