November 20, 2024 |

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बिलासपुर के कवि विजय कल्याणी तिवारी ने अपने स्वरचित “मोह लिया मन को” रचना से श्रोताओं को किया मुरीद….

(khabrilal24.com) बिलासपुर।

मोह लिया मन को विषयों ने
मुक्ति पथिक है बंधन में
गई नम्रता हाव – भाव से
अति प्रसन्न अभिनंदन में।

स्वहित सोच ने जीवन पथ में
कांकर – पाथर डाला है
जिनके हाथ अमिय प्याले थे
उनके हाथों हाला है।

अति विकार जीवन में भरकर
घूम रहा हर छोर धरा
घड़ा पाप का जो खाली था
अल्प समय आकंठ भरा।

कुछ कहते इस परिवर्तन को
कलयुग का उत्पादन है
बिगड़े हुए साज सज्जा को
जन जन का अभिवादन है।

भटका हुआ मनुष्य फिर पथ पर
कैसे वापस आ पाएगा
जिसे बुद्धि का अपच हुआ है
कौन उसे अब समझाएगा।

कवि – विजय कल्याणी तिवारी
बिलासपुर छ.ग.

Khabri Lal 24
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