(khabrilal24.com) बिलासपुर| छत्तीसगढ़ की लोक गाथा भरथरी को नया जीवन देने वाली पद्मश्री सुरुजबाई खाण्डे ने रोचक लोक शैली में प्रस्तुत कर विशेष पहचान बनायी. आंचलिक परम्परा में आध्यात्मिक लोकनायक के रूप में प्रतिष्ठित राजा भर्तहरि के जीवन वृत्त, नीति एवं उपदेशों को लोक शैली में भरथरी के जरिए प्रस्तुत किया जाता है.इस लुप्त होती कला को देश-प्रदेश में स्थान दिलाने पद्मश्री सुरुज बाई खाण्डे की मुख्य भूमिका रही.
10 मार्च को पद्मश्री सुरुजबाई खाण्डे की है पुण्यतिथि। अंतर्राष्ट्रीय भरथरी गायिका पद्मश्री सुरुजबाई खाण्डे की 10 मार्च को पुण्यतिथि है और उनके इस स्मृति दिवस को खास बनाने तथा श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए सुरुज ट्रस्ट-साहित्यिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्था द्वारा उत्तम भवन ओवर ब्रिज के पास एयरपोर्ट रोड़,चकरभाठा कैम्प, बिलासपुर में सुबह 10 बजे से संध्या 05:30 बजे तक कार्यक्रम का आयोजन किया गया है।
ये अतिथि होंगे कार्यक्रम में शामिल – सुरुज के सुरता कार्यक्रम के मुख्यातिथि- पद्मश्री आर.एस.बारले, पद्मश्री अजय मण्डावी, अध्यक्षता- पूर्व नेताप्रतिपक्ष व बिल्हा विधायक श्री धरमलाल कौशिक, विशेष अतिथि- डॉ.अनिल भतपहरी (सचिव, राज भाषा आयोग छत्तीसगढ़), श्री राजेन्द्र रंजन गायकवाड़ (सेवानिवृत्त जेल अधीक्षक) होंगे शामिल. साथ ही साथ छत्तीसगढ़ में अलग अलग विधाओं में काम करने वाले चयनित लोक कलाकारों, साहित्यकार, एवं खिलाड़ीयों को सुरुज सम्मान से सम्मानित किया जायेगा।
बिलासा कला मंच के संस्थापक डॉ. सोमनाथ यादव के द्वारा उद्बोधन के रूप में सुरुजबाई खाण्डे के जीवन पर प्रकाश डालेंगे साथ ही साथ लोक गायिका जोशी बहनें द्वारा एवं सतनाम जागृति गीत के स्वर सम्राट यशवंत सतनामी जी का सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया जायेगा।