पहली बारिश में ही नया रायपुर में BRTS बस स्टैंड हुआ जलमग्न, अधिकारीयों की मिलीभगत नतीजा भुगत रहे है बस यात्री
'दूर के ढोल सुहावने होते है' कहावत को चरितार्थ करता नया रायपुर , लोग नया रायपुर की सुंदरता और वातावरण देखकर रहने के लिए लाखों- करोड़ों रुपये का इन्वेस्टमेंट कर रखे है लेकिन नया रायपुर में सुविधाओं के नाम पर कुछ नही है शिवाय कांक्रीट और डामर की सड़कों का।
नया रायपुर । पहली बारिश ने नया रायपुर का हाल बेहाल कर दिया और प्रशासन की पोल खोल दी है। थोड़े से बारिश में ही नया रायपुर अटल नगर विकास प्राधिकरण और स्मार्टसिटी के द्वारा किए गए कार्यों की गुणवत्ता और विश्वसनीयता का पोल खोल रहे है।
नया रायपुर में सड़को के हर चौक- चौराहे पर पानी भर गया है- बारिश की शुरूआत होते ही प्रशासन की व्यवस्था का पोल खुल गया नया रायपुर में चमचमाती सड़कों का निर्माण तो हुआ है परन्तु बरसात में हर चौक चौराहे पर पानी लबालब भर जा रहे है जिससे आवागमन में लोगो को परेशानी और सडक दुर्घटना का शिकार होना पड़ सकता है।
स्मार्टसिटी से बना BRTS बस हुआ जलमग्न नया रायपुर में स्मार्टसिटी से बना BRTS बस स्टैंड तो मुसाफिरों के लिए बरसात के मौसम में सिरदर्द बन गया है। दरसल पहली बारिश में ही बस स्टैंड के अंदर यात्री प्रतीक्षालय और टिकट काउंटर के अंदर तक बरसते पानी ने अपना रास्ता बना लिया है बस में यात्रा करने वालो के लिए परेशानी के साथ साथ वहां काम करने वाले कर्मचारियों के लिए मुशीबतों का पहाड़ से कम नही है।
‘दूर के ढोल सुहावने होते है’ कहावत को चरितार्थ करता नया रायपुर – अध्यक्ष सरपंच संघ नया रायपुर सुजीत घिदौडे नया रायपुर की सुंदरता और वातावरण देखकर रहने के लिए लोगों ने लाखों- करोड़ों रुपये का इन्वेस्टमेंट कर रखे है लेकिन नया रायपुर में सुविधाओं के नाम पर कुछ नही है शिवाय कांक्रीट और डामर की सड़कों का दोपहर में आबादी नही होने के कारण नया रायपुर पूर्णतः सुना और वीरान सा नज़ारा देखने को मिलता है, लोगो के लिए नया रायपुर दूर के ढोल सुहावने होते है मुहावरे की तरह ही है , जो लोग अपनी मोटी रकम नया रायपुर में इन्वेस्ट कर रखे थे उन में से बहुत से लोगो ने अपना मकान बेचकर दूसरे जगह जमीन ले लिए है और बहुत से लोग असुविधा होने के कारण पक्षताने और खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे है।
क्या प्रशासन की मिलीभगत से भ्रष्टाचार हुई है? नया रायपुर में सरकार बहुतायत रूप से विकास के नाम पर पानी की तरह पैसे बहा रहे है जिसमे भ्रष्टाचार के आरोप लगना स्वाभाविक है जब ऐसी परिस्थिति सामने आ जाये जिसे देखकर गलती को माफ करने योग्य न हो तो उसमें कही न कही मिलीभगत और लापरवाही कमीशनखोरी का मामला जरूर सामने आता है ।