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नमक का सौदागर – स्वर्गीय रतन टाटा

एक महान हस्ती रतन टाटा जिनका (जन्म 28 दिसंबर 1937– मृत्यु 09 अक्टूबर 2024)

khabrilal24.com छत्तीसगढ़ ।  नमक का सौदागर – रतन टाटा (सुजीत घिदौड़े की कलम से सम्पादकीय लेख)

एक महान हस्ती रतन टाटा जिनका (जन्म 28 दिसंबर 1937– मृत्यु 09 अक्टूबर 2024)

भारत का एक महान हस्ती जिन्होंने अपने देश का नाम विश्वपटल पर वैश्विक बाजारों के साथ-साथ भारतीय संस्कृति को मजबूती के साथ मानवीय भाव की संकल्पना के साथ जिया और लोगो को मानवता, सरलता, नैतिक सहभागिता एवं व्यवसायिक व व्यापारिक मूल्यों का पाठ सिखाकर सदा-सदा के लिए सांसारिक दुनिया को अलविदा कहकर चला गया।

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यू ही अलविदा कहकर जाने वाला व्यक्ति कोई साधारण मनुष्य नही था।
उन्होंने कभी भी अपने बेशुमार दौलत और अमीरी पर घमण्ड नही किया उन्होंने कभी भी विश्व भर के व्यापारियों की अमीरों वाली सूची में नम्बर वन या प्रथम पायदान पर कभी शामिल ही नही हुए बिना ही देश दुनिया के लोगो के दिलो में राज करते हुए हमेशा चाहने वालो कि सूची में प्रथम पंक्ति पर रहे और आने वाले कई युगों तक इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गए।

उस महान हस्ती ने जिन्होंने उन सभी प्रथम पंक्ति पर खड़े होने वाले व्यापारियों की सूची में रहने वालों की कुल सम्पत्तियों से भी ज्यादा धनराशि विश्वभर के गरीबों में लुटाकर एक सभ्य , समानता और मानवीय भाव से भरे समाज की परिकल्पना को खुली आँखों मे सपने को साफ – साफ देखें और दुनिया को अपनी बंद आंख खोलने को मजबूर किया । वह कोई और नही बल्कि भारत मे जन्मे भारत के रतन हम सबके दिलो में युगों-युगों तक अमर रहने वाले स्वर्गीय रतन टाटा सर जी है।

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रतन टाटा ने भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और वैश्विक बाजारों में भारत का नाम रौशन कर भारत को नई पहचान दिलाई है।
1947 में अंग्रेजों की गुलामी से मिली आजादी के बाद भारत मे खराब अर्थव्यवस्था के साथ साथ गरीबी और गरीबी के कारण खान पान एवं पौष्टिकता की कमी से उत्पन्न होने वाली शारीरिक कमजोरी और बढ़ते बीमारियों के साथ साथ देश में आयोडीन और आयरन की कमी से घेंघा रोग और एनीमिया के कारण भारी संख्या में भारत में तेजी से फैलती इन बीमारियों की पहचान कर भारत मे आजादी के 10 साल पूर्व यानी 28 दिसम्बर 1937 को जन्म लेने वाले रतन टाटा जो भविष्य में भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और वैश्विक बाजारों में भारत का नाम रौशन कर भारत को नई पहचान दिलाई है।

गुजरात के ओखा में टाटा समूह द्वारा ब्रिटिश भारत का पहला नमक बनाने का संयत्र स्थापित किया गया।
आजादी के 20 साल पूर्व अर्थात 1927 में गुजरात के ओखा में टाटा समूह द्वारा ब्रिटिश भारत का पहला नमक बनाने का संयत्र स्थापित किया गया और आजादी के 36 साल बाद वर्ष 1983 में टाटा कम्पनी ने आयोडीन और आयरन से भरपूर पोषक तत्वों के गुणकारी नमक का पैकेट बनाकर आमलोगों तक बाजार में टाटा नमक सस्ते दामों में बेचा गया।

भारत सरकार ने 1947 में सार्वजनिक वितरण प्रणाली की शुरुआत किया।
यह नमक कुपोषण और बीमारियों से ग्रसित भारतियों के लिए इतना कारगर साबित हुआ कि , भारत सरकार ने 1947 में सार्वजनिक वितरण प्रणाली की शुरुआत किया। जिसका मकसद था , केंद्र और राज्य सरकारों की संयुक्त ज़िम्मेदारी के तहत समाज के कमज़ोर वर्गों को कुपोषण और गरीबी से बचाने के लिए ज़रूरी खाद्यान्न उपलब्ध कराया जाए. और इसी के तहत प्रत्येक सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) में आयोडीन और आयरन युक्त टाटा नमक को शामिल कर देश के अंतिम पंक्ति के कमजोर वर्गों तक पहुंचाया गया जो आज तक जारी है।
इसलिए देश में भारत के रतन टाटा को लेखक सुजीत कुमार घिदौड़े ने नमक का सौदागर कहा है।

🙏🏻धन्यवाद !🙏🏻

मैंने अपनी सच्ची श्रद्धांजलि स्वर्गीय रतन टाटा जी को उनके जीवन के कुछ अंश को अपने शब्दों में अपनी कल्पनाओं से जोड़कर लिखते हुए अर्पित किया है।

लेखक:- सुजीत घिदौड़े, नया रायपुर

नोट :- यह लेख एक सम्पादकीय के रूप में मेरे द्वारा (सुजीत घिदौड़े) दिनांक- 14/10/2024 समय रात 11:45 बजे दिन सोमवार को लिखी गई है जो मेरे अपने शब्दों में है और कुछ वर्ष और उनके गुणनफलकों को इंटरनेट की दुनियां से लिया गया है। फोटोज साभार : इंटरनेट

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