CG: सर्व आदिवासी समाज ने बस्तर संभाग के विभिन्न समस्याओं को लेकर तीन चरण लड़ाई लड़ेगी ।
जंगलों को प्रबंधन कैसे करना चाहिए और इस पर ग्रामीणों को ग्राम सभा के माध्यम से विचार करने की आवश्यकता है। ग्राम सभा को मजबूत करने के लिए संवैधानिक अधिकारों के साथ सामाजिक सांस्कृतिक , वेशभूषा , रीति - रिवाज , शिक्षा व्यवस्था , स्वास्थ्य व्यवस्था जैसे अन्य सुविधाओं पर ग्राम सभा अपना निर्णय दे सकती है ।
khabrilal24.com । जगदलपुर । सर्व आदिवासी समाज बस्तर संभाग का संभागीय बैठक नारायणपुर जिले के अबूझमाडिया भवन में बैठक रखा गया, जिसमें बस्तर संभाग के सभी जिलों के जिला अध्यक्ष , समाज पदाधिकारी , युवा प्रभाग, महिला प्रभाग , छात्र संगठन एवं समाज के पदाधिकारी की उपस्थिति में बस्तर संभाग में हो रही विभिन्न समस्याओं को लेकर चरणबद्ध तरीकों से लड़ाई लड़ने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया।
इस बैठक में बस्तर संभाग के मुख्य समस्या जल , जंगल और जमीन समस्याओं को लेकर तीन चरण में लड़ाई लड़ने पर सहमति हुई। संभागीय अध्यक्ष प्रकाश ठाकुर ने कहा कि अगर चाहे हमें सरकार उच्च न्यायालय तक की लड़ाई लड़ने की जरूरत है तो हम मुंह तोड़ जवाब देंगे नक्सली हो या प्रशासन सभी के लिए बड़े रूप से ठोस कदम के साथ रणनीति बनाकर तीन चरणों लड़ाई लड़ने की आवश्यकता है।
बस्तर , सुकमा, बीजापुर, नारायणपुर , दंतेवाड़ा, कोंडागांव एवं कांकेर के समस्याओं को लेकर 15 सितंबर से 30 सितंबर तक छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय से मिलकर समस्याओं से अवगत किया जाएगा। अगर इस समस्याओं का समाधान नहीं होता है तो आगे की रणनीति तैयार किया जाएगा।
उन्होनें कहा कि मुख्यमंत्री हमारा आदिवासी है लेकिन आदिवासियों की समस्याओं को अपना नहीं मानते हैं तो पूरे बस्तर संभाग में मिलकर तीन चरणों से लड़ाई लड़ने के लिए संकल्प लेते है ।
सर्व आदिवासी समाज ने समस्याओं को लेकर राष्ट्रपति , राज्यपाल, मुख्यमंत्री के नाम पर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा है।
बीजापुर जिला अध्यक्ष जग्गू तेलामी ने बताया कि टाइगर रिजर्व बीजापुर में लगभग 70 गांव को विस्थापन कर जल जंगल और जमीन से आदिवासियों को बेदखल करने का सरकार कर रही है । सर्व आदिवासी समाज ने इस समस्याओं को लेकर राष्ट्रपति , राज्यपाल, मुख्यमंत्री के नाम पर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा है। आदिवासियों को पुनर्वास नीति से बेदखल को बंद करना है , नारायणपुर जिला में एक विशेष पिछड़ी जनजाति अबूझमाडिया जनजाति छत्तीसगढ़ राज्य के नारायणपुर जिले में ओरछा एवं नारायणपुर जिला में 1994 एक विशेष कानून बना था लेकिन आज 2009 में हटाई गई उससे पहले अनुमति पत्रकार, कलेक्टर, मुख्यमंत्री, अन्य अबूझमाडिया जनजाति से अनुमति लेने का अधिकार था।
कोया समाज संभागीय अध्यक्ष हिडमो मंडावी ने कहा लड़ाई की शुरू बेहतर रूप से होना चाहिए, तब उसका इतिहास लिखा जाता है।
कोया समाज संभागीय अध्यक्ष हिडमो मंडावी ने कहा लड़ाई की शुरू बेहतर रूप से होना चाहिए, तब उसका इतिहास लिखा जाता है। बस्तर संभाग में लगभग प्रमुख रूप से 18 सामाजिक की इन समस्याओं को सरकार निराकरण नहीं करने पर संभाग में रैली और आंदोलन करने के लिए हमें तैयार रहना चाहिए। हमें नारा तक सीमित नहीं रहना चाहिए जमीन स्तर पर कैसे अमल करना है इस पर विचार करने की आवश्यकता है। आदिवासियों को बचाना है तो अपने घर को छोड़कर बस्तर की जल जंगल और जमीन बचाने के लिए सामने आना चाहिए ।
बस्तर जिला अध्यक्ष गंगाराम नाग ने कहा कि अबूझ माडिया क्षेत्र की समस्याओं को जानना जरूरी है।
बस्तर जिला अध्यक्ष गंगाराम नाग ने कहा कि अबूझ माडिया क्षेत्र की समस्याओं को जानना जरूरी है। क्योंकि 1,33,773 हेक्टेयर जमीन को राज्य सरकार के द्वारा छेड़छाड़ कर रही है। हमें परेशानी चाहे नक्सली हो चाहे पुलिस हो दोनों से हो रही है। इस क्षेत्र के जंगल में रहने वाले आदिवासियों को असली मालिकाना हक अभी तक नहीं मिला है।
उन्होंने कहा कि हमारे क्षेत्र में ऐसे जनप्रतिनिधि बनकर बैठे हैं जो आदिवासी समस्याओं पर मुंह तक नहीं खुल रहा है, विधानसभा के सदस्य , लोकसभा के सदस्य और राज्यसभा के सदस्य बनाकर भेजे हैं। कोई हक और अधिकार की आवाज उठाने को तैयार नहीं है। बस्तर में जल , जंगल और जमीन को बचाने के लिए सभी समुदाय को आगे आने की जरूरत है।
नारायणपुर 19 के दशक में आदिवासियों को कीड़े मकोड़े की तरह मार रहे हैं। प्रतिदिन 8 से 10 आदिवासियों को पुलिस और नक्सली का मुखबिर बोलकर मर जा रहा है। नक्सली और पुलिस दोनों ही मिलकर निर्दोष आदिवासियों को मार रहे हैं। यह लड़ाई परिवार की नहीं है, यह लड़ाई जल जंगल और जमीन बचाने के लिए जंतर मंतर दिल्ली धरना देने की आवश्यकता है। हमें राजनीति से ऊपर उठकर जल जंगल और जमीन लड़ाई लड़ने की आवश्यकता है। सर्व आदिवासी समाज पूरे बस्तर संभाग में विशेष तीन चरणों से लड़ाई लड़ी जाएगी।
बस्तर जिला सर्व आदिवासी समाज युवा प्रभाग अध्यक्ष संतु मौर्य ने कहा कि प्रत्येक गांव में पारंपरिक सीमा व्यवस्था को बनाए रखते हुए वन अधिकार मान्यता 2006 के तहत पूरा अधिकार ग्राम सभा को दिया गया है। पारंपरिक सीमा के अंदर ग्राम सभा अपने निर्णय हक अधिकार सीमा के अंदर जल जंगल और जमीन को प्रबंधन कार्य योजना शामिल है।
उन्होंने कहा कि आदिवासी परंपरागत व्यवस्था को मजबूत करने के लिए वन अधिकार मान्यता कानून 2006 को गांव-गांव में पहल कर सामुदायिक वन संसाधन का दावा कर हमें जंगलों को प्रबंधन कैसे करना चाहिए और इस पर ग्रामीणों को ग्राम सभा के माध्यम से विचार करने की आवश्यकता है। ग्राम सभा को मजबूत करने के लिए संवैधानिक अधिकारों के साथ सामाजिक सांस्कृतिक , वेशभूषा , रीति – रिवाज , शिक्षा व्यवस्था , स्वास्थ्य व्यवस्था जैसे अन्य सुविधाओं पर ग्राम सभा अपना निर्णय दे सकती है ।
इस दौरान संभागीय अध्यक्ष प्रकाश ठाकुर , गंगा नाग , हिड़मो मंडावी, प्रमोद पोटाई, सदाराम ठाकुर , रामेश्वर कुंजाम , मेनू कुमेटी , हीरालाल धनिलिया, राम जी ध्रुव, हरिश , पण्डी वडडे, हीरा लाल धनिलिया, धीरज राणा, संतु मौर्य , बसंत कश्यप , लक्ष्मण बघेल, सुमित पोयम, बनसिंह मौर्य ,रामू कश्यप , कमलेश कश्यप, झाड़ू राम मांडवी , मंगल बघेल एवं अधिकारी कर्मचारी आदि समाज प्रमुख उपस्थित थे।