(Khabrilal24.com) विदेश, (ब्रिटेन) में रहने वाली भारतीय मूल की 41 वर्षीय मधुस्मिता जेना दास, संबलपुरी साड़ी पहनकर मैराथन दौड़ी, और एक नया रिकॉर्ड बना दिया। मैनचेस्टर में ब्रिटेन की दूसरी सबसे बड़ी (42.5 किलोमीटर) मैराथन का आयोजन किया गया था। अपने देश की संस्कृति की पहचान को मजबूत होते देखना भला किसे अच्छा नहीं लगता. एक बार फिर से हम भारतीयों को गर्व करने का अवसर उस समय मिला जब रविवार को ब्रिटेन में रहने वाली एक भारतीय समुदाय की महिला ने संबलपुरी हथकरघा साड़ी पहनकर मैनचेस्टर में 42.5 किलोमीटर की मैराथन में हिस्सा लिया 41 वर्षीय इस महिला का नाम मधुस्मिता जेना दास है. मधुस्मिता ने इस रेस के दौरान सुंदर लाल साड़ी और नारंगी स्नीकर्स पहने थे. उन्होंने 4 घंटे 50 मिनट में मैराथन दौड़ पूरी की. इस दौरान साड़ी में उन्होंने सबका ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया। जिनमें मधुस्मिता अन्य प्रतिभागियों के साथ मैराथन में दौड़ लगाती दिखी।
भारतीय मूल की 41 वर्षीय मधुस्मिता का परिवार ओडिशा के केंद्रपाड़ा से लगभग 30 किमी दूर कुसुपुर गांव से संबंध रखता है. यूके श्री जगन्नाथ सोसाइटी के ट्रस्टी और यूके के ओडिशा सोसाइटी के पूर्व सचिव सुकांत कुमार साहू ने कहा कि, ‘मधुस्मिता को पिछले साल यूके सम्मेलन के ओडिशा सोसाइटी में खेल उत्कृष्टता के लिए सम्मानित किया गया था. वह हमेशा अपने नए करतबों से सबको प्रेरित करती हैं लेकिन इस बार उन्होंने साड़ी में दौड़ लगाकर एक अलग ही इतिहास रच दिया है. यूके के पूरे ओडिया समुदाय को उनकी उपलब्धियों पर गर्व है.’ मधुस्मिता के पति सचिन दास मिस्र में काम करते हैं. उनके पिता नीरेंद्र मोहन जेना और दो बेटे उनकी इस उपलब्धि से बेहद खुश हैं।
यूजर ने मधुस्मिता की तस्वीरों के साथ कैप्शन में लिखा कि, ‘यूके के मैनचेस्टर में रहने वाली एक भारतवंशी महिला ने संबलपुरी साड़ी पहनकर ब्रिटेन के दूसरे सबसे बड़े मैनचेस्टर मैराथन 2023 में दौड़ लगाई. इस ट्वीट में आगे लिखा गया कि, ”वाकई यह कितना अच्छा इशारा है. संबलपुर आपकी एक विशिष्ट समावेशी सांस्कृतिक पहचान है जो सदियों से सह-अस्तित्व वाले आदिवासी और लोक समुदायों के मजबूत जुड़ाव से उत्पन्न होती है. यह एक कठिन दौर है, आइए शांति और सद्भाव बनाए रखें.” मधुस्मिता द्वारा संबलपुरी हथकरघा साड़ी पहन कर दौड़ लगाने को लोग उड़िया संस्कृति से जोड़कर भी देख रहे हैं। मधुस्मिता ने कहा कि, “मैराथन में साड़ी पहनकर दौड़ने वाली मैं इकलौती व्यक्ति थी. इतने लंबे समय तक दौड़ना अपने आप में एक कठिन काम है लेकिन साड़ी में ऐसा करना और भी मुश्किल है. लेकिन मुझे खुशी है कि मैं 4.50 घंटे में दौड़ पूरी करने में सक्षम थी।
भारतीय मूल की बेटी ने लोगो को दी प्रेरणा…
सोशल मीडिया पर लोग मधुस्मिता की जमकर तारीफ कर रहे हैं. कई लोगों ने साड़ी पहनकर दौड़ने को मुश्किल काम बताया, ट्वीट पर कमेंट करते हुए एक यूजर ने लिखा कि उम्मीद है, हम लोगों को पट्टा साड़ी पहने हुए यूएस ओपन खेलते हुए देख सकते हैं, एक अन्य यूजर ने लिखा की यह गर्व की बात है एक यूजर ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए लिखा कि ‘कितनी अच्छी तस्वीर है। हमें अपनी संस्कृति दुनिया को इसी तरह दिखानी चाहिए. उसने लिखा कि जो लोग विदेशी पोशाक पहनने के लिए परेशान हैं, कृपया सीखें.’।मधुस्मिता ने बड़ी होने के साथ-साथ अपनी मां और दादी को रोजाना साड़ी पहन कर हर तरह के काम करते देखा. उन्हें ये प्रेरणा अपनी मां और दादी से ही मिली है. मधुस्मिता ने कहा कि, “कई लोगों का मानना है कि महिलाएं साड़ी पहनकर दौड़ नहीं सकतीं, लेकिन मैंने संबलपुरी हैंडलूम पहनकर ये काम करके उन्हें गलत साबित कर दिया. मैं वैसे भी यूके में गर्मियों के दौरान साड़ी पहनती हूं.”।
मैराथन दौड़ में मधुस्मिता दास की ये पहली एंट्री नहीं है, वह इससे दुनिया भर में कई मैराथन और अल्ट्रा-मैराथन दौड़ चुकी हैं, लेकिन उन्होंने साड़ी पहनकर पहली बार मैराथन में दौड़ लगाई है। उन्होंने अपनी इस अनोखी उपलब्धि से यूके में रह रहे भारतीय समुदाय को गौरवान्वित किया। साथ ही सभी लोगो ने महिला के इस जज्बे को सैल्यूट भी कर रही है। Khabrilal24.com परिवार भी उनके इस ज़ज़्बे को सलाम करता है, जिन्होंने विदेश में भी साड़ी पहन कर दौड़ लगाने में पीछे नही हटे भारतीय संस्कृति और परिधान को विश्व मे सर्वश्रेष्ठ बनाने के लिए हमारी ओर से खूब बधाई👏”!!!